Thursday 28 June 2012

फिर जब याद आए स्कूल के दिन


कभी पहली बार स्कूल जाने में डर लगता था,


आज अकेले ही दुनिया घुम लेते हैं!


पहले 1st आने के लिए पढ़ते थे,


आज कमाने के लिए पढ़ते हैं!


कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे,


आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते हैं!


पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे,


आज दोस्त हमारी यादों में रहते हैं!


पहले लड़ना मनाना रोज का काम था,


आज एक बार लड़ते हैं तो रिश्ते खो जाते हैं.


सच में जिंदगी ने बहुत कुछ सिखा दिया,


जाने कब हम को इतना बड़ा बना दिया.

Sunday 24 June 2012

ये शाम मस्तानी

लहरा के नीली झील मे ढलता है शाम को,
सूरज का रंग रूप बदलता है शाम को !!
हमसे हो एक गरीब के आँगन मे रोशनी,
सिक्का हमारे नाम का चलता है शाम को !!
मेहनत की आँच मे तपे मजदूर की तरह,
सूरज का जिस्म रोज़ पिघलता है शाम को !!
हासिल है उसको जादूगरी मे बडा कमाल,
मुट्ठी मे चाँद ले के निकलता है शाम को !!
उसके नसीब मे नही मंज़िल की रोशनी,
जो आदमी सफर मे निकलता है शाम को !!
लाखो घरो मे रोज़ की मशक़्क़त के बावज़ूद,
चूल्हा चिराग की तरह जलता है शाम को !!!

वक्त की रफ्तार

एक दिन वक़्त से पूछा मैने,
भाई इतना तेज़ क्यूँ चलते हो?
चन्द खुशियाँ हमारे साथ न रह जाये,
क्या इसलिये जलते हो? अरे !
कुछ दिन इन्हे हमारे साथ रहने दो,
कुछ समय के लिये ही सही,
मुझे इनके साथ बहने दो,
तुम्हारा क्या चला जायेगा,
मेरा मन बहल जायेगा,
आज तो मेरी बात मान ही जाओ,
थोडा सा रुक जाओ,
यूँ न सताओ,
हँसने लगा वक़्त ये कहते हुए
जीना तो पडेगा सब कुछ यह सहते हुए,
अरे ! जो अस्थायी है उसके लिये रोते हो,
और स्थायित्व को खोते हो,
अरे भाई !खुशियाँ तो चन्द लम्हो के लिये आती है,
और यादे ज़िन्दगी भर साथ निभाती है,
मै तो अपनी ही गति से चलता जाऊँगा,
तुम्हारे निवेदन से भी रुक न पाऊँगा,
मेरी गति मे से ही कुछ लम्हे चुरा लो,
कुछ पल उनके साथ रहकर,
फिर उन्हे अपनी यादे बना लो,
फिर उन्हे अपनी यादे बना लो......!!!

Sunday 17 June 2012

पिता दिवस

जिनकी उँगली थाम के चलना सीखा है, 
जाना हर मुश्किल से बहार निकलना, 
एक दिन उनके नाम, 
अपने प्यारे पापा को हमारा सलाम... 


 पिता दिवस मुबारक हो। :)

Saturday 16 June 2012

रात्रि संदेश

जब कभी आप अपने हृदय के भीतर सपनेँ संजोते हैं, उसे कभी खोने न दें क्योंकि सपनें एक छोटे बीज की तरह हैं, जिनसे बेहतरीन कल जन्म लेता है। एक अद्भुत सपना आज रात के लिए शुभ रात्रि। दि.न

गढ़वाली शायरी

स्याण चांदु छो पर नींद नी आंदी चा, 
करवट बदल - बदली की यनी रात कटे जांदी चा, 
कोर भी दे प्यार कु इजहार ए सोँजड़्या, 
आखर किले छे तु इतगा सतोणी …

Wednesday 13 June 2012

गढ़्वाली कविता स्कुल के दिन

स्कूल के दिनोँ में काटे गये छोटे-मोटे पल 
जब याद आते हैं तो दिल से 
मेरी यह रचना नीकलती है।


यख एक कविता च ऊँ दगड़्योँ कुन 
जु स्कूला विदई का आखरी दिन म्यार दगड़ी छै .....



बाट दिखीँ छै ये दिना की कुजणी कब बटी की,
अगण्या का सुपिन्या सजयां छै कुजणी कब बटी की,
भोत कुल्बुल्याणा रयाओ यक बटी जाणा कुन ,
जिँदगी कु अगल पड़ाव पाणा कुन ,
पर कुजणी किले…
दिल मा आज हाईगी कुछ आंद चा,
समय तै रुकणा कु ज्यु चांदु चा,
ज्योँ बात पन रुवै आंद छै कभी!
आज वों पन हँसी च आणी,
कुजणी किले आज वों दिना की याद छे आंदी,
बुल्ना रयांद छै …धो मुश्किल कोरी एक साल सह ग्याओ,
पर आज किले लगणु चा कुछ पिछण्या रै ग्याओ,
ना बिसरन वाली खुद रै ग्येन,
खुद जु अब जीण का सहारा बणी ग्येन, 

म्यार टंगुड़ अब कु खिंचलु अर 
म्यार खुपड़ा खाणा कुन कु म्यार पिछन्या अटकलु,
जख रुपयोँ कु कुई हिसाब-किताब नी वख द्वी रुपया बान कु लड़लु ,
कु रात भर दगड़ी जागी कन म्यार दगड़ी पढ़लु ,
कु म्यार कोपी-किताब में से पुछ्यां बिना ली जाल,
कु म्यार नयुँ-नयुँ नो बणाल,
मीन अब सुद्दी-मुद्दी कै दगड़ लण,
बिना विचार सुद्दी कै दगड़ गप्प लगाण,
कु फ़ेल ह्वाण पर मीथे पुल्याल,
कु गलती से नं॰ लाण पर गाली सुणाल , 

दुकनी मां चाय-पकोड़ कै दगड़ी खोलु,
वु भलु दिनां कै दगड़ी ज्युलु,
यन दगड़्या कख मिलला 

जु भ्याल मां तुमतै लमडे दयाला, 
पर तुमथै बचाण कुन अफीक भी लमडी जाला.
म्यार गीत सुणी कंदड़ पुटुक उँगील कु द्यालु , 

कभी मीथे छोरी दगडी बात कोरीँ देख फंटी कु बणालु,
कु ब्वालल माचद त्यार मजाक मां होँस नी आई ,
कु पिछन्या बटी धारी लगे की बुललु..अगण्या देख रे भाई,
पिक्चर मी केक दगड़ी दिखलु,
केक दगडी बैठीक गुरजी तै परेशान करलु,
बिना डर्याँ सच बुल्ना की हिम्मत कु करलु,
अचानक कैता भी देखि सुद्दी हँसुंण,
कुजणी फिर कब ह्वाल,
दगड़्योँ बान गुरजी दगड़ फिर कब लड़ला,
क्या हम ई दुबर कर पोला,
सुबेर-सुबेर बिज्जी कन तयार कु ह्वाल, 

छज्जा मनन कुदणा की शर्त कु लगाल,
कु म्यार काबिलियत पर मीथे भरोसो दिलाल 

अर ज्यादा बथोँ मा उडण पर भीम लाल,
म्यार खुशी देखी सच मां खुश कु ह्वाल,
म्यार खैरी देखी में से ज्यादा दुखी कु ह्वाल…

बोला दगड़्योँ ई दुबर कब ह्वाल....!

आशा करदु की हम दुबर फिर मिलला...!!



(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )

पट्टी/तल्ला : उदयपुर
ब्लोक : यमकेश्वर
वि.आ : भ्रगूखाल 


उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल

सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित

Sunday 10 June 2012

My View About Single

No , I am not single 
I am in a long
distance relationship
because my
Girl lives in the 
FUTURE


By Dinesh Nayal (A Garhwali guye..)

My Love for Garhwal

real love for my garhwal
Jai dev bhoomi!!
Jai badri kedar..!!
Jai Garhwal..
Jai Uttrakhand..!!

By Dinesh Nayal (A garhwali guye..!)