Friday 23 May 2014

देखि एक रुप सी बाँध
















त्यार रुप रंग द्येखी
म्यार बोल्या मन बिगड़ी ग्ये,
है रुपा की अन्वार बाँध
 नौ अपरु बिंग्ये दे...
कुजणी कै बाटा ऐ
म्यार बाटा बिगड़ी ग्ये
कै गौं की होली बाँद
आस मन मा रै ग्ये...
डणखणु छोँ घाम दुफरी
घोर अपणा जाणु छोँ
मन मा एक नाम लेकी
नाम वुई खुजाणु छोँ...
कख होली वा रुप सी बाँध
क्या होलु वीं का नाम.. 

 रचनाकार: दिनेश नयाल
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
उत्तराखंड पौडी गढवाल