दूसरे के लिए मेरे दिल में दर्द है
मैं उसे आराम नहीं दे सकता,
मैं उसके साथ नहीं हो सकता,
मैं उसके दर्द को साझा करना चाहता हूं,
उसकी पीड़ा को कम करना चाहता हूँ
बेबस क्यों हूँ?
यह इतना मुश्किल क्यों है
किस तरह शुरू करना चाहिए?
अप्राप्य प्रश्न मंडराते से आँखों में ,
और केवल शांत उत्तर उसकी दबी आवाज़ के साथ..
बेबस क्यों हूँ?
पीड़ा के साथ चीख, और असहायता का दर्द
"मैं कुछ कर सकता हूं, वहां होना चाहिए?"
करहाने सी अवाज , हवा में लटकी है,
"बचाओ"
बेबस क्यों हूँ?
लेकिन केवल चुप्पी और समय बना रहता है,
एक दिलासा देने वाले, दूसरे, मरहम लगाने वाले
तो मुझे शान्ति क्यों नहीं है,या दर्द क्यों है,
और क्यों केवल दुख ही रहता है
बेबस क्यों हूँ?
रचनाकार: दिनेश सिंह नयाल
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
20/8/2017
रचनाकार: दिनेश सिंह नयाल
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
20/8/2017