Tuesday, 26 November 2013

कॉलेज की लड़ाई

हाँ जिन्न देखी एक लड़ाई 
वो लोगों का झुंड बनाना 
लड़कियों का आपस में टकराना!... 
गाली गलोज , वो झगड़े फसाद 
खुशियोँ का पल चूर हो जाना,  

हे! दुनिया के लोगों 
कवि ह्रदय को जानोँ 
कवि ह्रदय पहचानोँ 
शायद ये वैर-भाव मिट जावे।
 
हाय! वो हंगामा वो शोर सराबा 
इंटो का इंटो से टकराना 
लड़कियों के लिए लड़कों का 
आपस में भिड़ जाना!  

पीड़ा एक कवि ह्रदय की 
पीड़ा तुम भी समझो मित्रों
कितना दर्द कितनी चोट 
पहुँची इस कवि ह्रदय को ..

मुझको जानोँ मुझे पहचानोँ 
पीड़ा मेरी पता चलेगी फिर तुमको.....!!  


......जिन्न (अंतरात्मा ) 

मेरी यह कविता मेरी डायरी में पूर्व प्रकाशित है... 
कविता के माध्यम से मैंने युवा वर्ग को लड़ाई झगड़े में ना पड़ने और विवादोँ से दूर रहने की ओर प्रेरित किया है....

Sunday, 24 November 2013

मैं कोन हूँ

हाँ मुझे पसंद है लोगों से बातें करना!! 
हाँ मैं बहुत बातुनी हूँ, 
हाँ मुझमें अकड़ है, 
हाँ मैं खुद को बहुत बड़ा dancer समझता हूँ,

हाँ मैं खुद को एक्टर समझता हूँ, 
हाँ मैं खुद को rapper भी समझता हूँ ,
हाँ मैं खुद को बदमास समझता हूँ, 
हाँ मैं खुद को कवि समझता हूँ ,
हाँ मैं खुद को लेखक समझता हूँ, 
लेकिन मैं खुद को वोई समझता हूँ, 
जो लोग मुझे समझते हैं,, 
आप चाहें मुझे उठा सकते हैं,  
आप चाहें मुझे गीरा सकते हैं , 
कहाँ गलत हूँ आप मुझे बताएँ..!