Saturday 7 December 2013

जीव कुछ ऐसा ( Catterpiller )

जीव कुछ ऐसा
 जीव सबने देखा,
अनोखा- अजीब
आकार प्रकार में भिन्न
देखा एक जीव
जीव कुछ ऐसा

 कवि मन प्रसन्न
उल्लास लिए मन
देखने को जागरूक
प्रसन्न मन उन्नमुख
रहस्यमय जीव कुछ ऐसा
विवाद लिए मन में

देखा सबने जाना सबने
पहुँचे लेकर
जीव विज्ञान प्रसाधन
जीव कुछ ऐसा


जाना सबने
जीव में छिपी
 तितली का रहस्य,
रहस्य कुछ अजीब
रहस्य कुछ अनसुना






जाना ना था
राज जिसका
आ गया सामने सबके
एक जीव ऐसा भी है
जिसमें कई चरण
जीव कुछ ऐसा

प्रथम चरण में
लंबा और अजीब
द्वितिय चरण
लिए अंडकोश
आता बाहर
तृतीय चरण
तितली का रुप
जीव कुछ ऐसा

पकड़ा वह जीव
लड़का जिसका नाम है अक्शत...!!
जीव कुछ ऐसा ..

प्रस्तुत कविता मेरी डायरी में पूर्व प्रकाशित है... कविता कॉलेज में एक छोटे कीट को पकड़ और उसका पूर्ण परीक्षण कर के लिखी गई!!



-दिनेश नयाल ( जिन्न )
सर्वाधिक सुरक्षित एवं प्रकाशित
७ दिसंबर २०१३
7 dec 2013

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