त्यार रुप रंग द्येखी
म्यार बोल्या मन बिगड़ी ग्ये,
है रुपा की अन्वार बाँध
नौ अपरु बिंग्ये दे...
कुजणी कै बाटा ऐ
म्यार बाटा बिगड़ी ग्ये
कै गौं की होली बाँद
आस मन मा रै ग्ये...
डणखणु छोँ घाम दुफरी
घोर अपणा जाणु छोँ
मन मा एक नाम लेकी
नाम वुई खुजाणु छोँ...
कख होली वा रुप सी बाँध
क्या होलु वीं का नाम..
म्यार बोल्या मन बिगड़ी ग्ये,
है रुपा की अन्वार बाँध
नौ अपरु बिंग्ये दे...
कुजणी कै बाटा ऐ
म्यार बाटा बिगड़ी ग्ये
कै गौं की होली बाँद
आस मन मा रै ग्ये...
डणखणु छोँ घाम दुफरी
घोर अपणा जाणु छोँ
मन मा एक नाम लेकी
नाम वुई खुजाणु छोँ...
कख होली वा रुप सी बाँध
क्या होलु वीं का नाम..
4 comments:
Bahut khub Dinesh ji
धन्यवाद दोस्तों.....
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