Friday 9 March 2012

आत्मकथा-२

मेरा नाम दिनेश नयाल है। हाईस्कूल और इंटर केन्द्रीय विद्यालय तुगलकाबाद, नई दिल्ली से किया। फिलहाल अभी कानपुर से सोफ़्टवैर इंजीनियरिंग कर रहा हूँ। साथ ही कानपुर विश्वविद्यालय से क्रमश:वृद्धि कर रहा हूँ जो भगवान जाने कब होगी , ओर ज्यादा क्या बताऊं अपने बारे में हाँ दोस्ती का जज़बा दिल में कुट-कुट कर भरा है ,मित्र बड़ी जल्दी बना लेता हूँ शायद इसी खूबी की वजह से नये शहर में कोई ज्यादा परेशानी नहीं हुई। इसे आप मेरी कमजोरी भी समझ सकते हैं क्योंकि इसी खूबी के कारण कई बार मैं धोखा खा जाता हूँ। एक ओर अच्छी आदत है जिसे कई लोग बुरी आदत भी समझते हैं ' सिगरेट'। सिगरेट के साथ दाँत कटे मित्र असानी से बन जाते हैं किसी भी नये शहर में जाईये आप जैसे 2-3 सूटेरी अवश्य मिल जाएँगे। अत: मेरे जीवन की मित्रता में सिगरेट की एक मुख्य भूमिका है। पर सच कहूँ तो अब जिंदगी में न वो मित्र रहेँ हें न वो स्कूल की मस्ती के साथ कड़े अनुशासन। स्कूल छोड़ने के बाद की जिंदगी तो जैसे बेरंग सी हो गई है। अब कोई मित्र मिलता भी हे तो फ़ार्मल हाय-हैलो के सिवा कुछ ओर नहीं हो पाता। वो मित्रों के साथ बिताए पल जब याद आते हें तो रोंगटे खड़े हो जाते हें। जानता हूँ वो पल कभी वापस नहीं आ सकते बस यादें आती हें। अब सामने भविष्य की 100 चिंताएँ हैं जानता हूँ अच्छे मित्र बनाना बहुत मुश्किल है, जिसे मैं फेसबुक में ढूँढ रहा हूँ।


(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )

पट्टी/तल्ला : उदयपुर
ब्लोक : यमकेश्वर
वि.आ : भ्रगूखाल 


उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल

सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित

3 comments:

Jagdish Rawat {J.D.} said...

Keep it up :-)
God bless you.

दिनेश नयाल (जिन्न) said...

धन्यवाद रावत जी

Balkrishna dhyani said...

लगे रहो नयाल जी और आगे बढ़ते रहो जी … अपना कोई आगे बड़ रहा है बधाई हो जी