क्या आप इन्ही में से किसी कविता में अपना बचपन खोया हुआ देख पाते है ?
मछली जल की रानी है,
मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी
है।
हाथ लगाओ डर
जायेगी
बाहर निकालो मर जायेगी।
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पोशम्पा भाई पोशम्पा,
सौ रुपये की घडी
चुराई।
अब तो जेल
मे जाना पडेगा,
जेल की रोटी
खानी पडेगी,
जेल का पानी
पीना पडेगा।
डाग डाग डाग थै थैयाप्पा।
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आलू-कचालू बेटा कहाँ
गये थे,
बन्दर की झोपडी
मे सो रहे
थे।
बन्दर ने लात
मारी रो रहे
थे,
पापा ने पैसे
दिये हंस रहे
थे।
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आज सोमवार है,
चूहे को बुखार
है।
चूहा गया डाक्टर
के पास,
डाक्टर ने लगायी
सुई,
चूहा बोला उईईईईई।
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झूठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है।
काली माई आयेगी,
गला काट ले
जायेगी।
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चन्दा मामा दूर
के,
पूए पकाये भूर के।
आप खाएं थाली
मे,
मुन्ने को दे
प्याली में।
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तितली उड़ी,
बस मे चढी।
सीट ना मिली,
तो रोने लगी।
ड्राईवर बोला, आजा मेरे
पास,
तितली बोली ” हट बदमाश
“।
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द्वारा:-दिनेश नयाल
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