मैने कुछ जोर से बोल दिया था तुम्हें
और तुम रो पड़ी थी.
पर तुम रसोई में काम
करते करते रो रही थी ,
मुझे पता भी चलने नहीं दीया था..
और मै अचानक पानी पिने
रसोई में आया,
तो देखा की तेरी आँखों में
आँसू बहे जा रहे थे..,
मैंने पूछा मम्मी क्या हुवा ?
क्यों रो रही हों ?
तो तुमने कहा बेटा
अगर मेरा बच्चा मुझे जोर से कुछ कहे
तो मुझसे कैसे सहा जाएगा.
मुझे बहुत दुःख हुवा की
मैंने मेरी माँ का दिल दुखाया..
मैँ उसके गले लग गया और मैंने कहा
"माँ, तो मुझे डाट लेना था ,
क्यों अकेले अकेले रो रही हों ?
तो माँ ने कहा
"बेटा अगर मैं तुम्हें जोर से डाटूंगी
तो तुम्हें भी दुःख होता ना.
वो बात को याद करके आज भी रो देता हूँ..
मुझे माफ़ कर देना मम्मी.
मैं कितनी खुशनसीब हूँ की तुम आज भी मेरे पास हो और मेरे साथ हो..
(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )
पट्टी/तल्ला : उदयपुर
ब्लोक : यमकेश्वर
वि.आ : भ्रगूखाल
उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
और तुम रो पड़ी थी.
पर तुम रसोई में काम
करते करते रो रही थी ,
मुझे पता भी चलने नहीं दीया था..
और मै अचानक पानी पिने
रसोई में आया,
तो देखा की तेरी आँखों में
आँसू बहे जा रहे थे..,
मैंने पूछा मम्मी क्या हुवा ?
क्यों रो रही हों ?
तो तुमने कहा बेटा
अगर मेरा बच्चा मुझे जोर से कुछ कहे
तो मुझसे कैसे सहा जाएगा.
मुझे बहुत दुःख हुवा की
मैंने मेरी माँ का दिल दुखाया..
मैँ उसके गले लग गया और मैंने कहा
"माँ, तो मुझे डाट लेना था ,
क्यों अकेले अकेले रो रही हों ?
तो माँ ने कहा
"बेटा अगर मैं तुम्हें जोर से डाटूंगी
तो तुम्हें भी दुःख होता ना.
वो बात को याद करके आज भी रो देता हूँ..
मुझे माफ़ कर देना मम्मी.
मैं कितनी खुशनसीब हूँ की तुम आज भी मेरे पास हो और मेरे साथ हो..
(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )
पट्टी/तल्ला : उदयपुर
ब्लोक : यमकेश्वर
वि.आ : भ्रगूखाल
उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल
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