Tuesday 19 March 2013

तनहा

सोचता हूँ
हाईयोँ के इस सफर में
क्या तनहा में अकेला हूँ,
है कोई ओर भी जो
तनहा है मेरे बिन,
साथी तू अकेला
न समझ सफर में 
अपने आप को,
कहते हैँ मुश्किल से मिलते हैं
दो दिल जिंदगी के इस सफर में...


(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )


उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल

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