दर्द क्या है
तुम क्या जानो
भूख क्या है तुम क्या जानो
बरसात में कोई आसरा नहीं
ठंड में कोई घर नहीं
धूप में ना छाता कोई
ए.सी- कुलर में रहने वालों
छत की किमत तुम क्या जानों
बच्चों कि सीसकियाँ
आँखों में उम्मीदेँ
कुड़े के उस ढेर से
हर वक्त कुछ पाने की आशा
कुछ ना मिलने पर खोने का दर्द
तुम क्या जानो!!
महलोँ में रहने वालों
हाल हमारी गरीबी का
तुम क्या जानोँ...
(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )
उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
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