सूने पड़े गाँव
बंद पड़े शहर..
दो पल तेरी याद
एक पल उसका कहेर..
सुना है अब कौई आता नही..
लौट आने को जी चाहता नहीं..
सूने पड़े गाँव
बंद पड़े शहर..
...
सुना था गाँव में शादी है
मन कहीं रुक पाता नहीं
घुगती सी डाल में बैठा
दिन्न अभी शरमाता नहीं..
कहीं पत्थर
कहीं बाँझ है पुँगडी
मन कभी भरमाता नहीं
रोना मुझे आता नहीं..
सुने पड़े गाँव
बंद पड़े शहर
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