घटा काली है छाई,
ये रात क्यों है?
बौंछार गिरी आँगन में आई,
ये बरसात क्यों है ?
,
बदला सा रंग है,
मौसम है,
फिर भी उमंग क्यों है ?
दिख रहे हैं आज ये पहाड़,
जो छिप जाते थे धुंधले आसमाँ में,
दिख रहे आज खुबसूरत,
फिर भी डर क्यों है ?
,
'जिन्न' बदली ये मौसम ,
फिर भी सर्द क्यों है,
आज बना दिया इंसान ने शमशान
फिर दर्द क्यों है ?
.......
घटा काली है छाई,
ये रात क्यों है ?.....
( मेरा छोटा सा प्रयास अपनी अभिव्यक्ती आप तक पहुँचाने का )
रचनाकार: दिनेश सिंह नयाल
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
24/4/2021
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