Thursday 24 May 2012

हाल यन छन म्यार पहाड़ का



हाल यन छन म्यार पहाड़ का,
मनखि चली जांदिन अपुर घोर
-बार पुंगडी पटली छोड़ी की,
रैं जांदिन उँका पिछन्या टुटीं
अर उजडीँ कुड़ी,
अशाढ आई फागुण आई
पर जब आई बसगाल,
पुरी कुड़ी उजड़ी गई,

माटा पुरी बोगी गै
अर निर्पट ह्वे गी घर-बार
त दीदोँ हाल यन छन म्यार पहाड़ का,
हे मनखी तुम इतगा त जाणा,
तुम बगेर ये कुड़ी कन कै रयाणा
इतगा नीठुर ना बण्या,
अपणा घोर-बार दिखणा रयाँ..!!

हाल यन छन म्यार पहाड़ का...
हाल यन छन म्यार पहाड़ का...

(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )




पट्टी/तल्ला : उदयपुर
ब्लोक : यमकेश्वर
वि.आ : भ्रगूखाल 


उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल

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