साहित्यकार बनने से पहले साहित्य पढ़ो और सीखो..
मैं अच्छा लेखक तो नहीं अच्छा पाठक अवश्य हूँ,
शब्दों का जाल बुनना और पाठकों को आकर्शित करना अच्छा लगता है।
Monday 28 May 2012
शायरी
डरता हूँ मैं कहीं पागल ना बन जाऊँ, तीखी नजर और सुनहरे रुप का कायल न बन जाऊँ, अब बस कर जालिम कुछ तो रहम कर मुझ पर, चली जा मेरी नजरों से दुर कहीं मैं शायर ना बन जाऊँ.....।
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