पाणी की भारी समस्या
हुईँ
रे मेरा गौं मा,
ये बार जब छुट्टी ग्यों
पाणी सरना रों छोया
-गदनोँ (कुत्ताकटली) मा,
कन मेरी गोली छे उबाणी,
तीसा बाणा गीच्च मनन
थूप बी नी छे आणी,
पहाड़ को ठंडो पाणी ,
बल तीसा गोलों मा पड़नी
छे स्याणी,
आहा धार मनक पाणी
क्या रोंस छे आणी
नहयाणा रों आहा कन ठंडो
छोयों कु पाणी,
भरी बंठा-गागर
भरी डब्बा
अर खणमण-खणमण कोरी
गीरे दे बरमंड मा
आहा कन ठंडो पाणी
जन बुल्या कैन अंखड़्ये दे ह्वाल
फ्रीज मनक बोतल,
श्येल पोडीगे शरील मा
ठंडु पोड़ग्ये शरील,
यन ठंडो पाणी कबी
मिल नी सकदु शहर मा,
जैमा मेरु पहाड़ कु स्वाद बस्यु हो...
(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )
पट्टी/तल्ला : उदयपुर
ब्लोक : यमकेश्वर
वि.आ : भ्रगूखाल
उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
रे मेरा गौं मा,
ये बार जब छुट्टी ग्यों
पाणी सरना रों छोया
-गदनोँ (कुत्ताकटली) मा,
कन मेरी गोली छे उबाणी,
तीसा बाणा गीच्च मनन
थूप बी नी छे आणी,
पहाड़ को ठंडो पाणी ,
बल तीसा गोलों मा पड़नी
छे स्याणी,
आहा धार मनक पाणी
क्या रोंस छे आणी
नहयाणा रों आहा कन ठंडो
छोयों कु पाणी,
भरी बंठा-गागर
भरी डब्बा
अर खणमण-खणमण कोरी
गीरे दे बरमंड मा
आहा कन ठंडो पाणी
जन बुल्या कैन अंखड़्ये दे ह्वाल
फ्रीज मनक बोतल,
श्येल पोडीगे शरील मा
ठंडु पोड़ग्ये शरील,
यन ठंडो पाणी कबी
मिल नी सकदु शहर मा,
जैमा मेरु पहाड़ कु स्वाद बस्यु हो...
(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )
पट्टी/तल्ला : उदयपुर
ब्लोक : यमकेश्वर
वि.आ : भ्रगूखाल
उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल
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2 comments:
बहुत ही बेहतरीन, खूबसूरत रचना । दिनेश भाई
Mst bhai ji.
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