म्यार पहाड़ कु हुक्का च
दान मनख्योँ की जान,
गुड़गुड़गुड़गुड़गुड़
कि ये मां बस्युं च
बुढ़-बुढ़्योँ कु प्राण,
चा हो कतगा थकावट
या खुट-हत करना ह्वा परेशान
गुड़गुड़गुड़गुड़
एक सुटका मारी
वापस ऐ जदीन जान-प्राण,
है ब्वारी यखुम आदी
चुल्ल मनन अंगार लादी
बल श्याम ह्वेगे तलब बहुत लगी रे
तंबखु डाली की हुक्का जला दी
गुड़गुड़गुड़गुड़
म्यार पहाड़ कु हुक्का च
दान मनख्योँ की जान,
गुड़गुड़गुड़गुड़गुड़
कि ये मां बस्युं च
बुढ़-बुढ़्योँ कु प्राण,
अब त घाम अछेँ ग्ये
रुमुक पड़ी ग्ये
गौं का बुढ़-बुढ़्योँ कु
पंगत लगी ग्ये
कन खट्टी-मीट्ठी छुईँ चन लगोँदा
अर एक तरफ बटी
गुड़गुड़गुड़गुड़
हुक्का छन सुटकोँणा
ल्या ब्वाड़ा तुम भी प्या
ल्या बोड़ी तुम बी ल्या
ब्वाड़ा तै खांसी-खंकार च आणा
गुडगुडगुडगुड हुक्का च प्याणा
म्यार पहाड़ कु हुक्का च
दान मनख्योँ की जान,
गुड़गुड़गुड़गुड़गुड़
कि ये मां बस्युं च
बुढ़-बुढ़्योँ कु प्राण.....
(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )
पट्टी/तल्ला : उदयपुर
ब्लोक : यमकेश्वर
वि.आ : भ्रगूखाल
उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
दान मनख्योँ की जान,
गुड़गुड़गुड़गुड़गुड़
कि ये मां बस्युं च
बुढ़-बुढ़्योँ कु प्राण,
चा हो कतगा थकावट
या खुट-हत करना ह्वा परेशान
गुड़गुड़गुड़गुड़
एक सुटका मारी
वापस ऐ जदीन जान-प्राण,
है ब्वारी यखुम आदी
चुल्ल मनन अंगार लादी
बल श्याम ह्वेगे तलब बहुत लगी रे
तंबखु डाली की हुक्का जला दी
गुड़गुड़गुड़गुड़
म्यार पहाड़ कु हुक्का च
दान मनख्योँ की जान,
गुड़गुड़गुड़गुड़गुड़
कि ये मां बस्युं च
बुढ़-बुढ़्योँ कु प्राण,
अब त घाम अछेँ ग्ये
रुमुक पड़ी ग्ये
गौं का बुढ़-बुढ़्योँ कु
पंगत लगी ग्ये
कन खट्टी-मीट्ठी छुईँ चन लगोँदा
अर एक तरफ बटी
गुड़गुड़गुड़गुड़
हुक्का छन सुटकोँणा
ल्या ब्वाड़ा तुम भी प्या
ल्या बोड़ी तुम बी ल्या
ब्वाड़ा तै खांसी-खंकार च आणा
गुडगुडगुडगुड हुक्का च प्याणा
म्यार पहाड़ कु हुक्का च
दान मनख्योँ की जान,
गुड़गुड़गुड़गुड़गुड़
कि ये मां बस्युं च
बुढ़-बुढ़्योँ कु प्राण.....
(रचनाकार : दिनेश सिंह नयाल )
पट्टी/तल्ला : उदयपुर
ब्लोक : यमकेश्वर
वि.आ : भ्रगूखाल
उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
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